"Premanand Ji Maharaj Childhood Photo"

Premanand Ji Maharaj बालक से संत बनने तक का सफर

प्रेमानंद जी महाराज से कैसे महान संत बने जिन्होंने आध्यात्मिक मार्ग पर चलते हुए लाखों लोगों को प्रभावित किया और उनके जीवन शैली बदली । एक साधारण बालक से लेकर महान संत बनने तक का सफर , प्रेम, त्याग और भक्ति का आदित्य उदाहरण है हमारे Premanand Ji Maharaj आइए जानते है इन महान आत्मा के जीवन का प्रेरणात्मक सफर इस ब्लॉग में .

संघर्षों से भरा बचपन

प्रेमानंद जी का जन्म उत्तर प्रदेश के एक साधारण ब्राह्मण परिवार में हुआ था । बचपन से ही वह एक बहुत शांत सरल और धार्मिक प्रवृत्ति के बालक थे, हालांकि उनके जीवन की शुरुआत बहुत कठिन थी माता-पिता का साया बहुत जल्दी ही उठ गया और उन्हें बाल काल में ही संघर्षों का सामना करना पड़ा उनके भीतर भगवान श्री कृष्ण के प्रति गहरी भक्ति बचपन से ही थी, बचपन में जब भी गांव के आसपास या गांव में कीर्तन और भक्ति होती थी वह घंटे मंदिरों में बैठे रहते और भक्ति करते, साधु संतों के साथ जुड़े रहते, उनके साथ वार्तालाप करते, बातचीत करते जिससे उनके अंदर और भक्ति के प्रति आकर्षण बढ़ता गया.

भक्ति की ओर पहला कदम

जब उनके उम्र के अधिकांश बच्चे खेल कूद में व्यस्त थे वही उस समय प्रेमानंद जी धार्मिक ग्रंथो और संतों की वारी में रुचि ले रहे थे उन्होंने बहुत ही छोटी उम्र में घर त्याग दिया और बनारस चले गए जहां पर उनका अधिकांश बचपन बीता फिर कुछ समय बाद वहां से किसी ने उन्हें वृंदावन का रास्ता बताया और वह वृंदावन चले गए जहां कृष्ण भगवान की छवि आज भी जैसे जीवित नजर आती है और फिर उन्होंने वृंदावन में अपना डेरा बसा लिया ।

वृंदावन में साधना की शुरुआत

वृंदावन में रहकर उन्होंने गहन साधना शुरू की उन्होंने न केवल भागवत गीता बल्कि श्रीमद् भागवत जैसे धार्मिक ग्रंथो का भी अध्ययन किया बल्कि उसे अपने जीवन में आत्मसात भी किया कोई वर्षों तक , तप और ज्ञान सत्संग में लीन रहे धीरे-धीरे उनकी छवि एक महान आत्मा के रूप में निखर कर आई जो भी उनके प्रवचन या उनकी कथाएं सुनता वह उनके प्रति भाव विहित हो जाता और उनके मन को शांति और हृदय को ठंडक पहुंचती ।

प्रेमानंद जी का कठिन जीवन

प्रेमानंद जी का जीवन जितना सरल और आसान दिखता है उतना है नहीं बल्कि उनके जीवन में अनेकों कठिनाइयों जैसे किडनी फेल हो जाना प्रेमानंद जी की दोनों किडनी फेल है डॉक्टर ने उन्हें 3 महीने का समय दिया था बल्कि तब से अभी तक 12 साल हो गए और प्रेमानंद जी को एक खरोच भी नहीं आए बल्कि गुरु जी ने अपने दोनों किडनी का नाम राधा और कृष्णा रखा हुआ है ।

संत प्रेमानंद जी महाराज की विशेषताएं

  1. श्रीमद् भागवत कथा वाचक :- वह श्रीमद् भागवत कथा की सुप्रसिद्ध वक्त हैं उनकी कथा में भक्ति रस की धारा बहती है और लोग उनकी कथाओं को सुनने के लिए बहुत दूर-दूर से आते हैं ।
  2. गौ सेवा और ब्रज सेवा :— महाराज जी ने गौ सेवा और ब्रिज सेवा को अपना धर्म मान लिया और इसी में अपना पूरा जीवन दे दिया और ब्रज के प्रचार प्रसार में ही लगे रहते हैं ।
  3. नारी सम्मान :— वह हमेशा ही नारी शक्ति के सम्मान में खड़े रहते हैं और नारी शक्ति के सम्मान की बातें करते हैं और समाज में सुधार की प्रेरणा देते हैं और लोग उनके बातों को मानते भी हैं ।

समाज को संदेश

प्रेमानंद जी का मानना है कि मनुष्य का असली धर्म है प्रेम सेवा और भक्ति उनका जीवन हमें सिखाता है की कठिनाइयों के बावजूद यदि हम सच्चे मन से प्रभु भक्ति करें तो जीवन आसान हो जाता है और हर समय जब भी आपका मन करे आप राधा राधा नाम का जाप करें इससे आपके मां को शांति मिलेगी ।

निष्कर्ष

प्रेमानंद जी महाराज का जीवन एक जीवंत उदाहरण है कैसे एक साधारण लड़का एक महान संत बन सकता है सिर्फ अपने नेक कर्म सच्ची मार्गदर्शन और प्रभु भक्ति के माध्यम से, ऐसा नहीं कि उनके जीवन में कठिनाइयां नहीं है उनके जीवन में बहुत कठिनाई है पर वह कभी भी भक्ति मार्ग से नहीं हटे ।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

  1. प्रेमानंद जी महाराज का जन्म कब हुआ था?
    उनके जन्म की सटीक तिथि सार्वजनिक रूप से ज्ञात नहीं है लेकिन वह आधुनिक काल के संतों में गिने जाते हैं
  2. क्या प्रेमानंद जी महाराज विवाहित है ?
    नहीं, उन्होंने गृहस्थ जीवन नहीं अपनाया और बचपन से ही ब्रह्मचर्य का पालन किया
  3. महाराज जी की कथा कहां सुन सकते हैं ?
    आप उनकी कथाएं यूट्यूब चैनल , टीवी चैनल और वृंदावन में आयोजित कक्षा आयोजन में सुन सकते हैं बल्कि अब तो सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गुरु जी की कथाएं अवेलेबल है

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